राहु जप एवं पूजन

"राहु ग्रह की शांति "

पौराणिक कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के समय राहु नामक एक असुर ने धोखे से अमृत पान कर लिया था। किन्तु जैसे ही उसने अमृत पान किया, सूर्य एवं चंद्र ने उसे पहचान लिया तथा उस समय मोहिनी अवतार में अवतरित भगवान विष्णु को सूचित कर दिया। इससे पहले कि अमृत उसके गले से नीचे उतरता, विष्णु जी ने उसका गला सुदर्शन चक्र से काट कर अलग कर दिया उसका सिर राहु ग्रह के रूप में अमर हो गया।

"राहु है निम्नलिखित विषयों का कारक ग्रह।"

राहु सामान्यतः विष, धोखेबाजी, सुख की इच्छा रखने वाले, विदेशी भूमि से प्यार करने वाले, ड्रग माफिया, झूठ बोलने वाले, निष्ठाहीन, अनैतिक कार्य करने वाले, दिखावे के लिए धर्म के शरण में जाने वाले, म्लेक्ष इत्यादि का कारक ग्रह है।

"जन्मकुंडली में राहु की महत्ता।"

जन्मकुंडली में राहु अशुभ ग्रह के रूप में स्थित है तथा इसे छाया ग्रह की संज्ञा दी गई है। परन्तु छाया ग्रह होने के बावजूद जन्मकुंडली में राहु ग्रह अपना विशेष प्रभाव बनाये रखता है। यह ग्रह हमेशा अशुभ फल नहीं देता बल्कि वर्तमान समय में नई टेक्नोलॉजी में राहु की भूमिका विशेष रूप से देखी जा सकती है।

"राहु और स्वास्थय"

राहु ग्रह स्वास्थ्य की दृष्टि से अच्छा नहीं है। यह किसी न किसी रूप में बीमारी अवश्य देता है। यह अक्सर पेट में इन्फेक्शयन, मानसिक पीड़ा इत्यादि उत्पन्न करता है। राहु शुभ तथा अशुभ दोनों फल देता है l राहु ग्रह यदि अनुकूल स्थिति में है, तो जातक को धनवान बना देता है, तथा व्यक्ति को मान-सम्मान भी दिलाता है। यदि राहु जन्मकुंडली में शुभ स्थिति में है, तो यह जातक की किसी भी इच्छा को पूरा करने की शक्ति रखता है‌। परन्तु यदि राहु प्रतिकूल है, तो जातक को राजा से रंक बना देता है।

ज्योतिष शास्त्र में राहु को छाया ग्रह माना गया है। यह एक रहस्यमयी ग्रह है। इसकी वजह से जीवन में अचानक बड़े-बड़े उलटफेर होने की संभावनाएं बनती हैं। यदि किसी की कुंडली में राहु की स्थिति अशुभ है, तो व्यक्ति को आसानी से सफलता नहीं मिल पाती तथा परेशानियां बनी रहती है। किसी भी काम में सही मानसिकता नहीं बन पाती तथा सही समय पर जातक सही निर्णय नहीं ले पाता।

राहु के दोषों को दूर करने के लिए खास उपाय... "राहु के अशुभ होने के संकेत"

यदि कुंडली में राहु दोष है, तो व्यक्ति मानसिक तनाव तथा आर्थिक नुकसान से ग्रस्त रहता है। व्यक्ति स्वयं की कार्यक्षमता को लेकर गलतफहमी, आपसी तालमेल में कमी, बात-बात पर क्रोधित होना, वाणी का कठोर होना तथा सामान्य बातचीत में भी अपशब्द का उपयोग करने लगता है। साथ ही अगर आपकी कुंडली में राहु की स्थिति अशुभ हो तो आपके हाथ के नाखून अपने आप टूटने लगते हैं।

"राहु ग्रह शांति हेतु करें इस मंत्र का जाप"

राहु ग्रह शांति हेतु  मंत्र

ह्रीं अर्धकायं महावीर्य चंद्रादित्य विमर्दनम्।

सिंहिका गर्भ संभूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम्।

ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:।।

ऊँ शिरोरूपाय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्नो राहु प्रचोदयात्।

राहु शान्ति के लिए इस मंत्र का जाप रात के समय करना चाहिए। घर के मंदिर में कालभैरव अथवा शिवजी का पूजन करें। यहां बताए गए राहु मंत्र का जाप रात में 18,000 बार तथा लगातार 40 दिन तक करना चाहिए।

यदि आप चाहे तो सिर्फ इस मंत्र “ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:” का भी जाप कर सकते हैं। या किसी योग्य आचार्य द्वारा राहु के लिए कम से कम 18000 एवं अधिकतम 72000  राहु के मंत्रों का जप करवा सकते हैं l

एक मंत्र- जिसके जाप से दूर हो सकता है, बुरा समय और बढ़ सकता है, धन लाभ।

राहु के मंत्र का जाप करने से कुंडली के राहु दोष दूर हो सकते हैं।

"इन चीजों का कर सकते हैं दान"

राहु के लिए गोमेद, सोना, सीसा, तिल, सरसों का तेल, नीला कपड़ा, काला फूल, तलवार, कंबल, घोड़ा, सूप आदि चीजों का दान करें l

राहु - केतु और उनके उपाय से मिलेंगे जीवन के सारे सुख। जानिए कैसे?

वेदों के अध्ययन पर विचार करें, तो राहु का अधिदेवता काल तथा प्रति अधिदेवता सर्प है, जबकि केतु का अधिदेवता चित्रगुप्त एवं प्रति अधिदेवता ब्रह्माजी हैं। राहु का दायां भाग काल एवं बायां भाग सर्प है। राहु एवं केतु सर्प ही हैं तथा सर्प के मुंह में विष ही होता है l

जब प्रसन्न हो राहु-केतु:  इससे यह सिद्ध होता है, कि राहु-केतु जिस पर प्रसन्न है, उसको संसार के सारे सुख सहज में दिला देते हैं, एवं इसके विपरीत राहु-केतु (सर्प) क्रोधित हो जाए,तो मृत्यु या मृत्यु समान कष्ट देते हैं। सृष्टि का विधान रहा है, जिसने भी जन्म लिया है, वह मृत्यु को प्राप्त होगा। मनुष्य भी इसी सृष्टि की रचना में है, अत: मृत्यु तो अवश्य भांवी ही, उसे कोई टाल नहीं सकता है। परंतु मृत्यु तुल्य कष्ट ज्यादा दुखकारी है l

क्या कहते हैं, शास्त्र: शास्त्रानुसार जो जातक अपने माता-पिता एवं पितरों की सच्चे मन से सेवा करते हैं, उन्हें कालसर्प योग अनुकूल प्रभाव देता है। तथा जो उन्हें दुख देता है, कालसर्प योग उन्हें कष्ट अवश्य देता है। कालसर्प के कष्ट को दूर करने के लिए कालसर्प की शांति पूजा अवश्य करनी चाहिए तथा शिव आराधना करनी चाहिए  l

प्रेम विवाह में सफल होने के लिए: यदि आपके प्रेम विवाह में अड़चनें आ रही हैं, तो शुक्ल पक्ष के गुरूवार से शुरू करके भगवान विष्णु तथा मां लक्ष्मी की मूर्ति या फोटो के आगे “ऊं लक्ष्मी नारायणाय नमः” मंत्र का रोज़ तीन माला जाप स्फटिक माला पर करें। इसे शुक्ल पक्ष के गुरूवार से ही शुरू करें । जिससे आपको लाभ मिलना प्रारंभ हो जाएगा l

धन्यवाद

नवग्रह देवता आप पर कृपा करें।।

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