रूद्र पूजा
- विधिपूर्वक रुद्र पूजन कराने में समय 3 घण्टे लगता हैं l
"रूद्र पूजा"
अनादि काल से भारत में हर सोमवार रूद्र पूजा करने का प्रचलन है। ‘रूद्र’, भगवान शिव के पराक्रमी रूप को दर्शाता है। पूजा का अर्थ है, जो पूर्णता से किया जाए। रूद्र पूजा करना या उसमें सशरीर उपस्थित होना हमारे भीतर आंतरिक शांति एवं पूर्णता लाने के लिए किया जाता है। वैदिक ग्रंथों द्वारा रूद्र पूजा को सबसे बड़ी पूजा बताया गया है। जिससे कुप्रभाव दूर होते हैं, मनोकामना पूर्ण होती हैं तथा सर्वांगीण समृद्धि होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कई दोषों के निवारण हेतु रूद्र पूजा को एक उपाय बताया गया है।
"क्यूँ करते हैं रूद्र पूजा?"
यह संसार सकारात्मक एवं नकारात्मक ऊर्जा का एक खेल है। रूद्र पूजा में हम भगवान शिव की आराधना करते हैं – ‘शिव’, जो संहार करते हैं। रोग, अवसाद एवं उदासी के रूप में जो भी नकारात्मक ऊर्जा हमारे भीतर तथा आस पास है उसका संहार करने का सबसे आसान उपाय है रूद्र पूजा। इस पूजा को करने से सकारात्मक ऊर्जा जैसे शांन्ति, उल्लास तथा समृद्धि की वृद्धि होती है। जिससे हमारा शरीर, मन और आत्मा प्रसन्न रहती है।
"कैसे की जाती है रूद्र पूजा?"
रूद्र पूजा में एक क्रिस्टल के शिवलिंग (जो कि भगवान शिव का प्रतीकात्मक प्रतिनिध्तव करते हैं) का दही, दूध, घी, शहद आदि सामग्रियों से अभिषेक किया जाता है। चन्दन, भस्म एवं पुष्प से शिवलिंग का श्रृंगार किया जाता है तथा प्रेम भाव से बेल पत्र, धतुरा एवं फल अर्पित किए जाते हैं। श्रद्धा और कृतज्ञता के भाव से भगवान का विधिवत पूजन किया जाता है। वैदिक महापठ्शाला (गुरुकुल) में विशेष रूप से प्रशिक्षित पुजारी एवं वैदिक शिक्षा ग्रहण कर रहे विद्यार्थी यह विशेष पूजा संपन्न कराते हैं। पूजा के समय मंत्रों का जप इतना शुद्ध एवं लयमय होता है की संपूर्ण वातावरण दिव्यता से भर जाता है और सभी को गहन ध्यान की अनुभूति होती है।
धन्यवाद
प्रेम से बोले रुद्र भगवान की जय।
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